PM Vishwakarma Yojana भारत सरकार ने देश के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के कल्याण के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की है – प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना। यह योजना न केवल कारीगरों को आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि उनके कौशल विकास और व्यवसाय के आधुनिकीकरण में भी मदद करती है।
योजना का परिचय और महत्व प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक नई आशा की किरण बनकर आई है। इस योजना के लिए सरकार ने 13,000 करोड़ रुपये का विशाल बजट आवंटित किया है। दिसंबर 2024 तक, इस योजना में 2.62 करोड़ से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया है, जो इसकी लोकप्रियता और आवश्यकता को दर्शाता है।
वित्तीय सहायता का विवरण योजना के तहत लाभार्थियों को 5% की रियायती ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का ऋण प्रदान किया जाता है। यह ऋण दो चरणों में दिया जाता है:
पहला चरण: 1 लाख रुपये का ऋण, जिसे 18 महीने में चुकाना होता है दूसरा चरण: 2 लाख रुपये का अतिरिक्त ऋण, जिसकी चुकौती अवधि 36 महीने है
प्रशिक्षण और अतिरिक्त लाभ योजना में केवल वित्तीय सहायता ही नहीं, बल्कि कई अन्य महत्वपूर्ण लाभ भी शामिल हैं:
- निःशुल्क व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण
- प्रशिक्षण के दौरान 500 रुपये प्रतिदिन का वजीफा
- टूल किट खरीदने के लिए 15,000 रुपये का विशेष अनुदान
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदक को कुछ बुनियादी मानदंडों को पूरा करना होता है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑफलाइन है, जिसके लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करना होता है:
- अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) या जन सेवा केंद्र का पता लगाएं
- आवश्यक दस्तावेजों के साथ केंद्र पर जाएं
- आवेदन फॉर्म भरें और जमा करें
- पंजीकरण की पुष्टि प्राप्त करें
योजना का प्रभाव और महत्व प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का उद्देश्य भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को आधुनिक अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बनाना है। यह योजना कई तरह से महत्वपूर्ण है:
- पारंपरिक कला और शिल्प का संरक्षण
- कारीगरों की आर्थिक स्थिति में सुधार
- छोटे उद्यमों का विकास और आधुनिकीकरण
- रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास
यह योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों को एक नई दिशा प्रदान कर रही है। आने वाले समय में इससे:
- कारीगरों की आय में वृद्धि होगी
- पारंपरिक कला और शिल्प का आधुनिकीकरण होगा
- युवा पीढ़ी को पारंपरिक व्यवसायों में रुचि बढ़ेगी
- निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी
प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना 2024-25 भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। यह न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि भारत की समृद्ध कला और शिल्प परंपरा को भी संरक्षित करेगी। इस योजना से लाखों कारीगर लाभान्वित होंगे और वे आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।
योजना की सफलता इस बात से भी स्पष्ट है कि अब तक 2.62 करोड़ से अधिक लोगों ने इसमें रुचि दिखाई है। यह आंकड़ा बताता है कि देश के कारीगर वर्ग को इस तरह की योजना की कितनी आवश्यकता थी। सरकार का 13,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटन भी इस योजना के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना भारत के पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। यह योजना न केवल उनके वर्तमान को सुधारेगी बल्कि भविष्य को भी सुरक्षित करेगी।